जागरण ब्यूरो। महंगाई में नरमी आने के संकेत मिलने के बावजूद अर्थिवदों को उम्मीद है कि बुधवार को जब आरबीआइ के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास एमपीसी की तीनदिवसीय बैठक में लिए गये फैसलों की घोषणा करेंगे, तो उसमें ब्याज दरों में एक और वृद्धि निश्चित है। अधिकांश जानकार मान रहे हैं कि इस बार वृद्धि ज्यादा नहीं बल्कि 25 से 35 आधार अंकों की होगी। लेकिन इस संभावना से इंडिया इंक बहुत ही ज्यादा चिंतित है।
पिछले पखवाड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में ब्याज दरों के और ज्यादा बढ़ाये जाने के खतरे का मुद्दा उठाया गया तो अब सीआइआइ व एसोचैम जैसे उद्योग चैंबरों ने एक तरह से केंद्र सरकार को यह संदेश भेज दिया है कि कर्ज के और महंगा होने से उनके लिए वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक सोमवार से शुरु होगी और 7 दिसंबर को इसके फैसलों की घोषणा होगी।
कई विशेषज्ञों ने कहा है कि महंगाई थामने के अपने प्रमुख अस्त्र यानी ब्याज दरों में वृद्धि को लेकर एमपीसी का रवैया थोड़ा नरम रहेगा। बैंक आफ बड़ौदा के प्रमुख अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा है कि जीडीपी की ग्रोथ रेट में कमी आने और महंगाई की दर के भी कम होने के परिदृश्य में यह बैठक होने जा रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला जारी रखते हुए एमपीसी इस बार 0.25 से 0.35 फीसद वृद्धि का फैसला करेगा।’ एमपीसी जून, 2022 के बाद से अभी तक रेपो रेट को चार फीसद से बढ़ा कर 5.90 फीसद (190 आधार अंकों की वृद्धि) कर चुका है।