दिल्ली। चुनाव आयोग के विजिलेंस मास्टर प्लान ने विधानसभा चुनावों में कैश, शराब और ड्रग्स के दम पर मतदाताओं का वोट हासिल करने वाले प्रत्याशियों के प्लान पर करारा चोट किया है।
केंद्र और राज्य की सभी 20 एजेंसियों को बेहतर तालमेल से एकजुट करने का दांव सफल दिखा है। यही वजह है कि साल भर में हुए 11 राज्यों के चुनाव में पिछली बार की तुलना में 8 गुना ज्यादा बरामदगी हुई है। पिछले एक वर्ष में चुनाव वाले इन राज्यों में 3427 करोड़ रुपये कीमत के कैश, शराब, ड्रग्स और अन्य सामान पकड़े गए। जबकि पिछले चुनावों में यह आंकड़ा सिर्फ 366 करोड़ रुपए का था।
दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने फ्री इलेक्शन के लिए खास रणनीति बनाई। एयरपोर्ट से लेकर रेलवे और डाक विभाग के जरिए शराब, ड्रग्स तस्करी पर निगाह के लिए उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटी से लेकर रेलवे, पोस्टल डिपार्टमेंट, नारकोटिक्स कंट्रोल को खास निगरानी के निर्देश दिए।
चुनाव के दौरान ऑनलाइन लेन-देन पर कड़ी नजर रखने के लिए आरबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, ईडी, रेवेन्यू इंटेलिजेंस को भी इस मुहिम में जोड़ा गया। इसके साथ ही राज्यों की पुलिस, एक्साइज डिपार्टमेंट को भी इस मुहिम में जोड़कर पूरी एक समन्वित टीम बनाई गई। ताकि केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल से कैश से लेकर मादक पदार्थों पर नकेल कसी जा सके। एजेंसियों के एकजुट होकर छापेमारी और निगरानी के कारण पिछले चुनावों की तुलना में 835 प्रतिशत ज्यादा बरामदगी हुई।