सूरत। हाल ही जी-7 देशों की बैठक में रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के फैसले से वहां की खदानों से निकलने वाले खास किस्म के अलरोजा हीरों (Alroja Diamonds) की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस हीरे की आपूर्ति कम होने से सूरत समेत गुजरात के गांव-कस्बों में छोटे-मोटे कारखानों और घरों में हीरे घिसने का काम बंद पड़ा है।
सूरत में आपूर्ति और डिमांड के कारण 100 से अधिक डायमंड कंपनियों का काम पहले ही ठप है। रूस पर नए प्रतिबंधों लागू होने से चुनौतियां और बढ़ेंगी। इन परिस्थितियों के पीछे एक बड़ा कारण यूरोपीय देशों में कोरोना के बाद डिमांड का बहुत कम हो जाना भी है। दुनिया के कुल हीरों में करीब 30 प्रतिशत रूस के अलरोजा होते हैं। दुनिया में 90 प्रतिशत हीरे कट, पॉलिश्ड होकर सूरत समेत गुजरात से जाते हैं। रफ हीरों को कलर, क्लेरिटी और तराशने के काम के बाद फिनिश्ड डायमंड सूरत, मुम्बई से जी-7 के देशों में भी निर्यात किए जाते हैं। जानकारों और डायमंड संगठनों के मुताबिक रूस पर नए कड़े प्रतिबंध यदि लागू हो जाते हैं तो भारत की डायमंड इंडस्ट्री में करीब चार से छह लाख हीरा कारीगरों के रोजगार के साथ डायमंड कंपनियों का व्यापार अधर में लटक जाएगा।
पता चलेगा, हीरा कहां से आया
जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Alroja Diamonds) के चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि अब रूसी हीरों की पहचान के लिए जी-7 देश ट्रेसिएबिलिटी टेक्नीक अपना सकते हैं। इससे ट्रेस किया जा सकता है कि हीरा कहां से आया है।
अलरोजा ही क्यों
ज्वैलरी आदि बनाने के लिए रफ डायमंड (Alroja Diamonds) की कटिंग-पॉलिश कर 90% हीरे सूरत से विश्व को निर्यात किए जाते हैं। अधिक मार्जिन देने के कारण सूरत में रूस की अलरोजा कंपनी के हीरे ही उपयुक्त हैं, इनका विकल्प नहीं है।